Sunday, September 02, 2018

मुक्त छन्द

मुक्त छन्द में छन्द तो है लेकिन छन्द कौन सा रहेगा, उसमें कितनी मात्राएँ होंगी, कौन सी पंक्ति कितनी बड़ी या छोटी होगी.... यह सब निर्धारित करने के लिए रचनाकार स्वतंत्र है, मुक्त है किसी पारंम्परिक छन्द विधान से बँधा नहीं है.... यही मुक्त छन्द की विशेषता है..... हाँ रचनाकार जिस तरह के छन्द का प्रयोग रचना में करता है उसका निर्वाह उसे पूरी रचना में करना चाहिए... छन्द की यही मुक्ति रचना विशेष को सबसे अलग सबसे प्रभावी बना देती है..... इसीलिए नवगीत सबसे अलग दिखता है...... उसमें वह सब कुछ कहा जा सकता है जो रचनाकार कहना चाहता है.....
कुछ लोग मुक्त छन्द और छन्द मुक्त का अन्तर नहीं पता होता है और वे दोनों को एक ही मान लेते हैं, निराला जी ने छन्द को पारम्परिक बंधन से मुक्त करने की बात कही है, नवगीत "मुक्त छन्द" में रचा जाता है, भ्रमवश इसे भी कुछ लोग छन्द मुक्त कहते देखे जा सकते हैं।
छन्द मुक्त का आशय है जिसमें कोई छन्द न हो अर्थात् गद्य कविता लेकिन मुक्त छन्द का आशय है कि उसमें छन्द तो है, अनुशासन तो है परन्तु उसे मुक्त रखा जा सकता है, उसमें लय और प्रवाह आवश्यक है......

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